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आईएमएफ ने चेताया: डॉलर की वैश्विक हैसियत खतरे में।

आईएमएफ ने चेताया: डॉलर की वैश्विक हैसियत खतरे में।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, मध्यम अवधि में अमेरिकी डॉलर का मूल्य घट सकता है, और इस आशंका ने वैश्विक बाजारों में चिंता बढ़ा दी है। लंबे समय से दुनिया की आरक्षित मुद्रा रहा "ग्रीनबैक" तेजी से अपनी पकड़ खो रहा है। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि अगर इस गिरावट को रोका नहीं गया, तो यह डॉलर के प्रभाव को गंभीर रूप से कमजोर कर सकती है।

IMF विशेषज्ञों ने अमेरिकी टैरिफ नीति से उत्पन्न विभिन्न संभावित परिदृश्यों का अनुमान लगाया है। उदाहरणस्वरूप, यदि आयात की मांग घटती है, तो विदेशी मुद्राओं की आवश्यकता कम हो सकती है, जिससे डॉलर मजबूत हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप अन्य देश अपनी मौद्रिक नीतियों में ढील दे सकते हैं, ताकि उनकी मुद्राएं कमजोर होकर घटती निर्यात मांग को सहारा दे सकें।

एक अन्य संभावना यह है कि डॉलर-मूल्यांकित परिसंपत्तियों (assets) की मांग में तेज गिरावट आए। ऐसा अमेरिका की आर्थिक नीति को लेकर बढ़ती अनिश्चितता और कमजोर होती वृद्धि की भविष्यवाणियों के चलते हो सकता है। अभी के लिए यह प्रक्रिया क्रमबद्ध दिखाई दे रही है, लेकिन मध्यम अवधि में यदि टैरिफ्स उत्पादकता को प्रमुख निर्यात-आधारित क्षेत्रों में प्रभावित करने लगते हैं, तो डॉलर के भारी अवमूल्यन (devaluation) का खतरा है।

इस प्रकार, आर्थिक परिदृश्य लगातार तनावपूर्ण होता जा रहा है। व्हाइट हाउस से उत्पन्न अनिश्चितता के बीच बाजारों में डॉलर और अमेरिकी ट्रेज़री बॉन्ड्स से व्यापक रूप से धन निकासी देखी जा रही है।

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